दोस्तों आज की इस बदलती हुई दुनिया में शिक्षा का तरीका पूरी तरह से बदल रहा है। अगर आप अपनी पढ़ाई पूरी कर लिए होंगे या उच्च स्तर की पढ़ाई कर रहे होंगे तो आप देखेंगे कि जब आप पढ़ाई करते थे और अभी के से में जो बच्चे पढ़ाई करते उनमें काफी अंतर होगा ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया के बदलने के साथ साथ शिक्षा का तरीका भी बदल रहा है पहले जहां शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबें पढ़ना, रटना और एग्जाम पास करना रहता था वहीं अब किताबें रटकर एग्जाम पास कर देने से काम नहीं बनेगा हमे नए नए स्किल्स भी सीखने होंगे।
दोस्तों आज के इस बदली हुई दुनिया में डिग्री हासिल कर लेने से नौकरियां नहीं मिलेगी आपके पास डिग्री के साथ साथ स्किल्स भी होने चाहिए। क्योंकि अभी के समय में किसी भी संस्था आपको नौकरी देने के लिए आपका ज्ञान तो देखती है लेकिन ये भी देखती है कि आपके अंदर स्किल्स है कि नहीं ।
इसलिए दोस्तों आज हम ट्रेडिशनल एजुकेशन और स्किल बेस्ड एजुकेशन को जानने का प्रयास करेंगे -
- Traditional Education क्या है?
- थ्योरी पर जोर - इसमें किताबों और सिद्धांतों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है ।
- जानकारी को रटना - छात्रों को जानकारी याद करने और परीक्षा में लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
- डिग्री केंद्रित - इसका मुख्य उद्देश्य एक डिग्री प्राप्त करना होता है ।
- शिक्षक केंद्रित - शिक्षक जानकारी का मुख्य स्रोत होता है और छात्र निष्क्रिय रूप से सुनते है ।
- ज्ञान का माप - परीक्षा के अंकों और ग्रेड से ज्ञान को मापा जाता है।
- व्यावहारिक ज्ञान पर जोर - इसमें करके सीखने पर ध्यान दिया जाता है।
- समस्या समाधान - छात्रों को वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए तैयार किया जाता है।
- प्रोजेक्ट और वर्कशॉप- सीखने के लिए प्रोजेक्ट, इंटर्नशिप और वर्कशॉप का उपयोग किया जाता है।
- बाजार की मांग के अनुसार - पाठ्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि छात्रों को उन कौशलों में प्रशिक्षित किया जा सके जिनकी बाजार में माग है (जैसे, कोडिंग, डिजिटल मार्केटिंग, डेटा एनालिटिक्स, कम्युनिकेशन)
- उद्देश्य - ज्ञान प्राप्त करना और डिग्री लेना।
- सीखने का तरीका - थ्योरेटिकल
- रिजल्ट - इसमें छात्र मार्क्स और ग्रेड पर निर्भर होते हैं।
- उपयोगिता - यह शिक्षा सिर्फ एग्जाम तक ही सीमित है।
- सीखने की शैली - रटना और लिखना।
- उद्देश्य - नए-नए स्किल्स सीखना।
- सीखने का तरीका - व्याहारिक ज्ञान और प्रैक्टिकल।
- रिजल्ट - इसमें छात्र सीखने पर ध्यान देते हैं उन्हें रिजल्ट से कोई मतलब नहीं होता है।
- उपयोगिता - करियर के लिए उपयोगी है।
- सीखने की शैली - अभ्यास करना।
- बढ़ता बेरोजगारी - अभी के समय में कई डिग्रीधारियों को भी नौकरी नहीं मिल पाती क्योंकि उनके पास आवश्यक कौशल नहीं होते।
- उद्योग की बदलती मांग - उद्योग तेजी से बदल रहे हैं अब कंपनियां उन लोगों को हायर करना चाहती है जो पहले दिन से ही काम शुरू कर सके ।
- आत्मनिर्भरता और उद्यमिता - कौशल सीखने से व्यक्ति आत्मनिर्भर बन सकता है और अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकता है ।
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 : भारत की नई शिक्षा नीति में भी कौशल विकास पर विशेष जोर दिया गया है। यह इस बात का सबूत है कि सरकार भी इसका महत्व समझती है।