 |
Static electricity |
क्या आपने ठंड के दिनों में यह महसूस किया है कि जब हम पहने हुई ऊनी कपड़े को उतारते हैं तो उसमें से चट चट की आवाज अर्थात करेंट जैसी आवाज आती है । या कंबल में अपना नाखून लगाते हैं तो उसमें से चिंगारी जैसी रोशनी निकलती है और इस रोशनी को देखकर कई लोगों को यह लगता है कि इस कंबल में कहीं करेंट तो नहीं या फिर बालों पर कंघी करने के बाद कंघी को कागज के छोटे टुकड़े के पास ले जाते हैं तो कागज कंघी से चिपक जाता है आखिर ऐसा क्यों होता है इसके पीछे क्या विज्ञान है? आपके मन में भी एक न एक बार यह सवाल जरूर आया होगा । और अगर आपको नहीं पता तो इस ब्लॉग में हम जानेंगे की ऐसा क्यों होता है इसके पीछे क्या विज्ञान है ?
दोस्तों इसके पीछे का विज्ञान स्थिर वैद्युतिकी अर्थात static electricity है। और ये सारी घटनाएं इसी के कारण होती है। अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि स्थिर वैद्युतिकी क्या है व इसके वजह से ये सारी घटनाएं कैसे होती है -
स्थिर वैद्युतिकी है क्या ?
स्थिर वैद्युतिकी अर्थात Electrostatics दो शब्दों से मिलकर बना है Electro+Statics
इलेक्ट्रो का अर्थ होता है विद्युत और स्टैटिक का अर्थ होता है स्थिर अर्थात विद्युत का एक जगह जमा हो जाना स्थिर वैद्युतिकी कहलाता है।
जब किसी वस्तु पर बिजली का आवेश (Electric charge) जमा हो जाता है और हिलता - डुलता नहीं है स्थिर रहता है, तो उस स्थिति का अध्ययन को स्थिर वैद्युतिकी कहते है।
आवेश (Charge) क्या होता है?
दोस्तों हर एक वस्तु बहुत छोटे - छोटे कणों या एटम्स से मिलकर बने होते हैं। और ये कण होते हैं इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन।
- Electron - (- charge)
- Proton - (+ charge)
- Neutron - (neutral कोई चार्ज नहीं)
कुछ महत्वपूर्ण बातें
1) दोस्तों अगर इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की संख्या बराबर है तो वस्तु तटस्थ (स्थिर) रहती है।
2) लेकिन अगर इलेक्ट्रॉन घट जाय तो वस्तु पर धनात्मक आवेश (Positive Charge) आ जाता है।
3) और अगर इलेक्ट्रॉन बढ़ जाए तो वस्तु पर ऋणात्मक आवेश ( Negative Charge) आ जाता है।
आवेश के प्रकार :-
आवेश दो प्रकार के होते हैं -
1) धनात्मक आवेश
2) ऋणात्मक आवेश
इसे एक प्रायोगिक अध्ययन के द्वारा समझते हैं,
"इस प्रयोग में दो छड़ लेते हैं एक कांच की छड़ और दूसरा एबोनाइट की छड़। अब कांच की छड़ को रेशम के कपड़े से रगड़कर धागे से लटका देते हैं और एबोनाइट की छड़ को ऊनी कपड़े से रगड़कर कांच के छड़ के पास ले जाते हैं। हम देखते हैं कि दोनों छड़ एक - दूसरे को अपनी और आकर्षित करते हैं।"
कांच की छड़ को रेशम से रगड़ने पर कांच की छड़ में जो आवेश उत्पन्न हुआ उस आवेश को धनावेश कहते हैं।
2) ऋणावेश -
एबोनाइट की छड़ को ऊनी कपड़े से रगड़ने पर एबोनाइट की छड़ में जो आवेश उत्पन्न हुआ उस आवेश को ऋणावेश कहते हैं।
समान आवेश - जब दोनों छड़ में धनात्मक आवेश होंगे तो वे एक - दूसरे को अपने से दूर धकेलते हैं।
असमान आवेश - एक छड़ में धनात्मक आवेश तथा दूसरे छड़ में ऋणात्मक आवेश हैं तो दोनों एक - दूसरे को खींचते हैं।
आवेश उत्पन्न करने के तरीके
आवेश को 3 तरीकों से उत्पन्न किया जाता है।
1) संपर्क - एक वस्तु जिसमें आवेश है और दूसरा वस्तु जिसमें कोई आवेश नहीं है। जब दोनों को संपर्क में लाएंगे तो आवेश उत्पन्न हो जाएगा।
जैसे - इलेक्ट्रिक रॉड की किसी धातु से छूना।
2) घर्षण - दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने से आवेश उत्पन्न हो जाएगा।
जैसे - गुब्बारे को बालों पर रगड़ना
3) प्रभाव - ऋणात्मक छड़ को किसी न्यूट्रल वस्तु के पास लाने से उस वस्तु पर धनात्मक आवेश आ जाता है ।
स्थिर विद्युत कैसे उत्पन्न होती है
जब दो अलग - अलग वस्तु अर्थात आवेश अलग अलग हो उन्हें रगड़ा जाता है तो इलेक्ट्रॉनो का आदान - प्रदान होता है जिससे वस्तु आवेशित हो जाती है । दोस्तों इसे कुछ उदाहरणों से समझने का प्रयास करते हैं
"जब हम ऊनी कपड़े को उतारते हैं या कम्बल में नाखून लगाते हैं तो कंबल और हमारे शरीर के बीच घर्षण होता है और इस घर्षण के कारण इलेक्ट्रॉन एक सतह से दूसरे सतह में चले जाते हैं। कम्बल या ऊनी कपड़ा इलेक्ट्रॉन लेके ऋणात्मक रूप से आवेशित हो जाता है और हमारा शरीर इलेक्ट्रॉन को देकर या खोकर धनात्मक रूप से आवेशित हो जाता है। आवेश विपरीत है धनात्मक और ऋणात्मक जब इन धनात्मक और ऋणात्मक आवेशों की मात्रा अधिक हो जाती है और हम कपड़े को उतारते हैं तो आवेश हवा के माध्यम से वापस संतुलन में आने का प्रयास करते हैं और यह तेजी से होने वाला आवेश ( धनात्मक और ऋणात्मक) का प्रवाह हवा के अणुओं को आयनित कर देते हैं। जिससे हमें चट - चट अर्थात करेंट जैसी आवाज सुनाई देती है। और अंधेरा में यह काम होता है तो थोड़ी सी चिंगारी दिखाई देती है।"
स्थिर विद्युत के कुछ प्रमुख उदाहरण
1. कार की दरवाजे या लोहे की वस्तु को छूने से हल्का सा झटका लगता है ये स्थिर विद्युत के कारण ही होता है ।
2. जब हम अपने बाल में कंघी करते हैं तो कंघी और बाल आपस में रगड़ाती है जिससे कंघी आवेशित हो जाती है और जब हम इस कंघी को कागज के छोटे टुकड़े के पास ले जाते हैं तो ये कंघी उन टुकड़ों में उपस्थित आवेशों को अपनी और आकर्षित करता है । आकर्षित इसलिए कर रहा है क्योंकि माना कंघी ऋणात्मक रूप से आवेशित है और कागज के टुकड़े में धनात्मक आवेश हैं अगर आवेश समान रहेंगे जैसे, धनात्मक - धनात्मक तो कंघी कागज के कागज के छोटे टुकड़े को दूर धकेलेगा।
3. अपने बालों पर गुब्बारे को रगड़कर दीवार से चिपकाना -
जब हम अपने बालों से गुब्बारे को रगड़ते हैं तो हमारे बालों के इलेक्ट्रॉन गुब्बारे में आ जाते हैं चूंकि हमारा बाल इलेक्ट्रॉन खोया अर्थात वह धनात्मक रूप से आवेशित हुआ व गुब्बारा इलेक्ट्रॉन लिया यह ऋणात्मक रूप से आवेशित हुआ चूंकि इनके बीच आवेश विपरीत है इसलिए गुब्बारा दीवार से चिपक जाता है ।
4. टीवी या लैपटॉप के स्क्रीन पर धूल का आकर चिपक जाना ।
स्थिर वैद्युतिकी की खोज और वैज्ञानिकों का योगदान
सबसे पहले थेल्स ने देखा कि एम्बर (पीला रत्न) को उन के कपड़े से रगड़ने पर वह हल्की चीजों को अपनी और खींच लेता है। यहीं से बिजली के रहस्य की शुरुआत हुई। इसके बाद विलियम गिलबर्ट ने बताया कि सिर्फ एम्बर ही नहीं और भी पदार्थ हैं जिन्हें रगड़ने पर बिजली पैदा होती है। जिसे इन्होंने Electricity का नाम दिया। विलियम गिलबर्ट को father of electricity कहा जाता है। फिर ऑटो वॉन ग्यूरिक ने एक मशीन बनाई जिससे काफी मात्रा में स्थिर बिजली बनाई जा सकती थी इसके बाद स्टीफेन ग्रे ने यह बताया कि बिजली कुछ चीजों से गुजर सकती है। जिससे बिजली गुजर सकती है उन्हें हम चालक कहते है और जिनसे नहीं उन्हें हम कुचालक कहते हैं। फिर बाद में बैंजामिन फ्रैंकलिन ने अपने पतंग वाले प्रयोग से साबित किया कि बादलों में भी यही बिजली होती है जिसे हम आकाशीय बिजली कहते हैं। और बैंजामिन फ्रैंकलिन ने ही धनात्मक आवेश और ऋणात्मक आवेश का नामकरण किए। फिर अंत में कूलॉम ने बताया कि दो आवेशों के बीच बल उनकी दूरी और आवेश की मात्रा पर निर्भर करता है।
स्थिर विद्युत के उपयोग कहां - कहां होता है -
स्थिर विद्युत एक तरह से बच्चों का खेल है लेकिन आज की इस आधुनिक दुनिया में इसके कई उपयोग हैं।
1. फोटोकॉपी मशीनें और प्रिंटर
इसमें टोनर (स्याही पाउडर) को कागज पर चिपकाने के लिए स्थिर विद्युत का उपयोग किया जाता है ।
2. एयर फ्यूरीफायर और वैक्यूम क्लीनर
स्थिर विद्युत धूल और प्रदूषण के सूक्ष्म कणों को खींचने (सफाई) में बहुत उपयोगी साबित होता है।
3. स्प्रे पेंटिंग - स्थिर विद्युत के कारण पेंट समान रूप से सतह पर जमते हैं जिससे wastage कम होता है।
दैनिक जीवन में सावधानियां
स्थिर विद्युत हमारे दैनिक जीवन में एक खेल की तरह है लेकिन हर जगह इसे खेल की तरह खेलना खतरनाक साबित हो सकता है । आइए जानते हैं किन - किन जगहों में हमें सावधानी बरतनी चाहिए -
1. पेट्रोल पंप - यदि आप गाड़ी में पेट्रोल भरवाने के लिए पेट्रोल पंप के पास जाते हैं तो गलती से भी वहां मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल न करे क्योंकि हल्की सी चिंगारी भी बहुत बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।
2. इलेक्ट्रॉनिक लैब्स और भौतिक प्रयोगशालाओं में स्थिर विद्युत से बचने के लिए विशेष मैट और ग्राउंडिंग तकनीक का इस्तेमाल करें।
तो दोस्तों मैं आशा करता हूं कि आप समझ ही गए होंगे कि स्थिर विद्युत क्या है? व हमारे दैनिक जीवन में इसके क्या उपयोग है।